What is ventilator and its use in Hindi

 कोरोना काल के समय से आपने वेंटिलेटर मशीन का नाम तो सुना ही होगा दोस्ती वैसे तो यह मशीन आजकल कि नहीं वह पूरा नहीं है लेकिन कोई ना करते समय से इस पर थोड़ा ध्यान बैठ गया हैं। उड़ना कल जब से आए हैं तब से हर कोई समझ गया है कि वेंटिलेटर क्या होता है? और वेंटिलेटर किस प्रकार से हमारी जान बचा सकता है? और यह लाइफ सेविंग मशीन में पूरी दुनिया में लाखों लोगों की जान बचाई है और इस दौर के दौरान सबसे ज्यादा डिमांड भी वेंटिलेटर की ही हुई हैं।




इसके लिए ज्यादातर इसका प्रोडक्शन किया गया है जिससे मरीजों की जान बचा सके, इसके लिए आपको भी वेंटिलेटर के बारे में पूरी जानकारी ले लेनी चाहिए जिससे आपको भी मिलनी चाहिए और यह भी पता चल पाएगी वेंटिलेटर क्या है? और कैसे काम करता है? इसलिए हमने वेंटिलेटर से जुड़ी तमाम प्रकार की माहिती आपके सामने समक्ष करने वाले हैं तो इसलिए हमारी मेहनत को सफल बनाएंगे और इस जानकारी प्राप्त करें! आज हम आपको बताने वाले हैं कि वेंटिलेटर क्या है और कैसे काम करता है जाने के लिए हमारे साथ अंतर तक बने रहिएगा।


वेंटिलेटर क्या होता है?और उसका उपयोग

वेंटिलेटर मशीन एक ऐसा मशीन है जो ऐसे लोगों की जान बचाने में मदद करते हैं जो लोग सांस लेने में तकलीफ दिक्कत पैदा होती हो या फिर जिनके लिए खुद सांस लेना मुश्किल पड़ जाता हो! यह बात आप सभी लोगों को पता होगी हमारी सांस लेने की प्रक्रिया  फेफड़ों से जुड़ी होती है और फेफड़ों की मदद से ही हमारी शरीर को नया ऑक्सीजन प्राप्त होता हैं।


 फेफड़ों कार्बन डाइऑक्साइड और दूसरी वेस्ट गैसों को हमारी शरीर से दूर करने का काम भी फेफड़ा करते हैं। और आपको यह भी मालूम होगा जी जो कोरोनावायरस से वह हमारे फेफड़ों पर ही अटैक करता है जिससे सीरियस कंडीशन में हमारे फेफड़े सही से काम नहीं कर सकते ऐसे में यह वेंटिलेटर मशीन हमारे शरीर के अंदर सांस लेने की दिक्कत में मदद करता हैं। वेंटिलेटर कोड रेस्पिरेटर, ब्रेथिंग मशीन, मैकेनिकल वेंटीलेटर के नाम से पुकारा जाता हैं।


वेंटिलेटर हमारे फेफड़े में हवा को अंदर भेजती है उस हवा में ऑक्सीजन का प्रमाण बड़ा हुआ होता हैं। वेंटिलेटर के अंदर हीटेड ह्यूमिडीफायर होता है जोहर सप्लाई के वक्त हिट और मॉयस्चर भी ऐड कर देता है ताकि पेशेंट के खून में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती तब बहुत ही मुश्किल हो जाता है तब उसको मैकेनिकल वेंटीलेटर पर रखा जाता हैं।


डॉक्टर वेंटिलेटर को इस प्रकार से सेट करते हैं जिसकी मदद से सीधा ऑक्सीजन वेंटिलेटर से पेशेंट के फेफड़ों तक आसानी से पहुंच सके, वेंटिलेटर से ऑपरेशन पहुंचाने के लिए पेशेंट को एक मार्क्स भी  पहनाया जाता है लेकिन अगर पेशेंट की कंडीशन बहुत ही ज्यादा सीरियस कंडीशन में पहुंच जाती है तब उसे ब्रैथिंग ट्यूब पहनाया जाता हैं इसके लिए मुंह या नाक के जरिए एक एंडोट्रैकियल ट्यूब विंड पाइप यानी ट्रेकिया में इंसर्ट की जाती हैं। इसके दौरान पेशेंट नहीं कुछ बोल सकता है और ना ही कुछ खा सकते हैं, इसकी मदद से पेशेंट बहुत ही ज्यादा मुश्किल से शायद ही बात कर सकता है और शायद कुछ खा सकता हैं।


वेंटिलेटर प्रेशर का यूज करके ऑक्सीजन युक्त एयर फेफड़ों तक पहुंचाता हैं कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलता हैं। ऐसा करने से पेशेंट को ऑक्सीजन मिलता है और कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलता हैं। उस दौरान पेशेंट का साथ छोड़ना भी बहुत जरूरी होता है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड शरीर से बाहर ना निकले तो पेशेंट के ऑर्गेंस को डैमेज कर सकती हैं। यह सामान्य सांस अंदर बाहर करना ही होता है लेकिन क्योंकि शाम को सांस लेने में दिक्कत आ रही है इसलिए वेंटिलेटर पेशेंट को सांस लेने में और सांस छोड़ने में मदद करता हैं।


वेंटिलेटर पर रहने वाले पेशेंट को हार्ट बीट, रेस्पिरेट्री रेट,ब्लड प्रेशर, चेस्ट x-ray, स्कैन और ब्लड टेस्ट जैसे मेडिकल साधन की जरूरत नहीं पड़ती हैं। वेंटिलेटर ऑपरेशन के प्रेसर और एक्सपेरेटेड लेबल मेंटेन करने के लिए क्लॉसली मॉनिटर किया जाता हैं। कुछ पेशेंट को थोड़े समय के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है जबकि बहुत सारे पेशेंट को लंबे समय के लिए वेंटिलेटर पर रखा जाता हैं।


वेंटिलेटर को काम करने के लिए इलेक्ट्रिसिटी की जरूरत पड़ती है लेकिन कुछ वेंटीलेटर्स बैटरी से भी चल जाते हैं। मैकेनिकल वेंटिलेटर मुख्य तौर पे हॉस्पिटल पर रखे जाते हैं और एंबुलेंस जैसे ट्रांसपोर्ट सिस्टम में यूज़ किया जाता है पर कुछ मामलों के अंदर इसका इस्तेमाल घर के अंदर भी किया जा सकता हैं। जब पेशेंट की बीमारी लंबे समय तक की है और जिस मरीज को घर में रखा गया हो उसी सभी रिसोर्सेज उपलब्ध हो। वेंटिलेटर की जरूरत सिर्फ कोरोना के पेशेंट के लिए नहीं बल्कि सर्जरी के दौरान भी वेंटिलेटर का यूज किया जाता है और सर्जरी से रिकवर होने के दौरान भी इसकी जरूरत हो सकती हैं।


इसके अलावा अन्य हेल्थ प्रॉब्लम के समय पर भी वेंटिलेटर का प्रयोग किया जाता है जैसे कि

(1) upper spinal cord injuries

(2)stroke

(3)premature lung development(in babies),

(4)polio

(5)pneumonia

(6)lung infection

(7)drug overdose

(8)chronic obstructive pulmonary 

disease

(9)collapsed lung

(10)brain injury

(11)coma


मतलब की वेंटिलेटर तो एक लाइफ सेविंग मशीन तो है ही लेकिन पेशेंट को लंबे समय तक वेंटिलेटर पर अगर रखा जाए तो कुछ समय बाद पेशेंट को शारीरिक समस्या हो सकती है जो है न्यूमोनिया! वेंटिलेटर पर होने वाली सबसे कॉमन बीमारी न्यूमोनिया है मोस्ट सीरियस प्रॉब्लम में से एक हैं। ब्रेथिंग ट्यूब की वजह से पेशेंट खास नहीं पाता जिससे air way मैं जाम्स इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है पर न्यूमोनिया के अलावा साइनस इनफेक्शन बी वेंटिलेटर से होने वाला एक रिस्क है जो पेशेंट के अंदर कॉमन रहता है!


वेंटिलेटर पर ज्यादातर रहने से muscle weakness,vocal cord damage,pneumothorax,lame damage,skin infection,blood clots जैसी बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है अगर कोई व्यक्ति वेंटिलेटर को ज्यादा दिन तक समय गुजारे तो!


वेंटिलेटर एक ऐसी मशीन है जो बच्चे  और जवान के इलाज का एक बहुत ही महत्वपूर्ण पार्ट होता है वेंटिलेटर का कितना यूज किया जाना है वह पेशेंट की कंडीशन पर डिपेंड करता हैं।


वेंटिलेटर के बारे में पूरी जानकारी देने के बाद हम ऐसी आशा रखते हैं कि किसी को भी वेंटिलेटर पर चढ़ने की कभी नौबत ना आए इसलिए अपनी तबीयत का ध्यान रखिएगा। आशा करता हूं कि आज की महत्वपूर्ण जानकारी आपको काम आएगी।

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